अव्वल तीरंदाज़, सारथी जगन्नाथ, सोच डगमगाई, तो काँपे फिर हाथ. नज़रें हर दम निशाने पर, गुरु ने था सिखाया, क्या करे आज, दुश्मन के दल में द्रोणाचार्या को खड़ा पाया. दुख, क्रोध, त्याग, हर ख़याल का किया खुलासा, सेनानी ने माँगा मार्ग दर्शन, चाहा नही दिलासा. इंद्रियों पर हुई चर्चा, प्रशनो का मिला हल, भीतर पाई विजय, महज़ बाहर बाकी था होना सफल. अब के खीची कमान, लक्श्य सॉफ नज़र आया, अधर्म से था सामना, धर्म का साथ निभाया!
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Beautiful, ended up writing this:
कृष्णा और अर्जुन
अव्वल तीरंदाज़, सारथी जगन्नाथ,
सोच डगमगाई, तो काँपे फिर हाथ.
नज़रें हर दम निशाने पर, गुरु ने था सिखाया,
क्या करे आज, दुश्मन के दल में द्रोणाचार्या को खड़ा पाया.
दुख, क्रोध, त्याग, हर ख़याल का किया खुलासा,
सेनानी ने माँगा मार्ग दर्शन, चाहा नही दिलासा.
इंद्रियों पर हुई चर्चा, प्रशनो का मिला हल,
भीतर पाई विजय, महज़ बाहर बाकी था होना सफल.
अब के खीची कमान, लक्श्य सॉफ नज़र आया,
अधर्म से था सामना, धर्म का साथ निभाया!
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